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ई-प्रॉसीक्यूशन


भारत सरकार की महत्वाकांक्षी डिजिटल इण्डिया योजना के अन्तर्गत आई०सी०जे०एस० (इण्टर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के तहत ई-प्रासीक्यूशन पोर्टल को विकसित किया गया है। ई- प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर शासन के अनुमोदनोपरान्त राज्य अभियोजन सेवा के समस्त  अधिकारी तथा शासकीय अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय में सम्पादित किये जाने वाले समस्त दैनन्दिन कार्यों को फीडिंग किए जाने हेतु 77 के०पी०आई० को डेवलप किया जा चुका है। इसी क्रम में समस्त अभियोजकों को फीडिंग किए जाने के सम्बन्ध में गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। समस्त अभियोजकों के कार्य का वार्षिक मूल्यांकन का एक आधारबिन्दु ई – प्रॉसीक्यूशन है। अभियोजकों के कार्यों का तुलनात्मक मूल्यांकन पोर्टल से प्राप्त होने वाले विभिन्न शीर्षकों के डाटा के आधार पर किया जाता है जिसमें मुख्य हैं:- साक्षियों की परीक्षा, जमानत खारिजा, वाद निस्तारण, विधिक अभिमत, निर्णय, ड्राफ्ट चार्जशीट, आरोप विरचन, अंतिम बहस, अपील पुनरीक्षण तथा दोषमुक्ति आख्या तैयार करना।

राज्य के अभियोजकों द्वारा इस डाटा फीडिंग में अद्भुत प्रदर्शन किए जाने के परिणामस्वरूप ई – प्रॉसीक्यूशन पोर्टल पर उत्तर प्रदेश राज्य देश में प्रथम स्थान पर है तथा विगत कई वर्षों से अपना प्रथम स्थान बनाए हुए है। अभियोजन निदेशालय द्वारा समस्त जनपदों में राज्य अभियोजन सेवा के एक-एक राजपत्रित अधिकारी को इस हेतु नोडल अधिकारी बनाया गया है तथा निदेशालय स्तर से निकट पर्यवेक्षण कर पाक्षिक अनुश्रवण भी सुनिश्चित किया जाता है। अभियोजन कार्यों की सूचना को फीड किया जाना आपराधिक न्याय प्रणाली के लिये अत्यन्त उपयोगी है जिसका सर्वाधिक लाभ आम जनता को तथा अभियोजन कार्यों के पर्यवेक्षण में होता है। आई०सी०जे०एस० के पूर्णरूप से क्रियान्वित हो जाने के उपरान्त ’वन डाटा वन एंट्री’ का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा । यह त्वरित न्याय की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।